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देश की आईटी कंपनियां मूनलाइटिंग यानी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिए काम करने को लेकर कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रही हैं। वहीं, केंद्र सरकार के मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कर्मचारियों के पक्ष में बयान दिया है। आईटी मंत्रालय के राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि कर्मचारियों पर शिकंजा कसना गलत है और उन्हें अपने सपनों का उड़ान भरने देना चाहिए। आपको बता दें कि मूनलाइटिंग पर पहली बार किसी केंद्रीय मंत्री का बयान आया है।  

क्या कहा चंद्रशेखर ने: पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया (पीएएफआई) के 9वें वार्षिक फोरम में राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “कंपनियों को अपने कर्मचारियों पर शिकंजा नहीं कसना चाहिए। कर्मचारियों को अपने सपनों पर रोक नहीं लगाना चाहिए।” केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि समझौते के तहत कर्मचारियों को वह सबकुछ करने की अनुमति दी जानी चाहिए जो वे बिना किसी प्रतिबंध के चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वर्क कल्चर में बदलाव आया है और इसे पहचानने वाली कंपनियां सफल होंगी। हर कोई पैसे चाहता है और अधिक कमाई चाहता है।

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विप्रो ने 300 कर्मचारियों को निकाला: केंद्र सरकार के मंत्री का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में मूनलाइटिंग को लेकर आईटी कंपनी विप्रो ने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। विप्रो ने कर्मचारियों की मूनलाइटिंग को कंपनी के साथ धोखा बताया है।  इसके अलाव इंफोसिस ने भी इंटरनल मेल के जरिए कर्मचारियों को चेतावनी दी है। टीसीएस और आईबीएम जैसी आईटी कंपनियां भी मूनलाइटिंग का जोर-शोर से विरोध कर रही हैं। 

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क्या है मूनलाइटिंग: जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के अलावा पैसे कमाने के लिए एक ही समय में कोई दूसरा काम भी करता है, तो उसे मूनलाइटिंग कहते हैं। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम होने की वजह से इसका चलन बढ़ा है। आईटी कंपनियों का मानना है कि इस वजह से परफॉर्मेंस और कामकाज पर असर पड़ रहा है।

वहीं, कर्मचारियों का तर्क है कि कंपनियां सैलरी हाइक या इंसेंटिव आदि पर कंजूसी दिखा रही हैं। यही वजह है कि जब तक संभव है, कर्मचारी नए विकल्प देख रहे हैं। इससे कुछ कमाई हो जाती है।

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